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अभी तो सपने लिखें है उड़ान बाकी है, इस परिंदे में

अभी तो सपने लिखें है उड़ान बाकी है,
इस  परिंदे में भी अभी जान बाकी है।
आंधियों की औकात नहीं रोक सके,
उठने को यहां एक तूफान बाकी है।।

©प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
  उड़ान