कि बिखरा हू मै कुछ यू जैसे पत्ते बिखरे हो दरख्तो से ।। मिलो तुम बन कर मरहम मुझे । दिल भर चुका है ज़ख्मों से ।। झुक जाता हू मै मेहशर मे । जीतना नही आता जंग मुझे अपनो से।। कि लगा कर गले रो लू क्या ज़रा एक मुददत हुई आंसुओ को छिपाए हुऐ आंखो की पलको से।। आकिब महफूज़ ©Aaquib Mahfooz #Hopeless #ब्रोकन #Broken #jazbaat #alone #dead #rahatindori #poetry #haalerooh #darkness