तेरी यादों के समंदर में मेरा मन कागज की कश्ती जैसे रोज डूबता । मैं पागल हूँ या,ये सूरज जो हर रोज पूरब में ऊगता ।। ꧁༒N𝓪Ƭ𝕂𝓱𝓪t N𝓪ω𝓪ℬ༒꧂ 08/07/2021 ©kanaram gour #तेरी #यादों के #समंदर में मेरा #मन #कागज की #कश्ती जैसे #रोज डूबता । मैं #पागल हूँ या,ये सूरज जो हर रोज #पूरब में उगता ।। ꧁༒N𝓪Ƭ𝕂𝓱𝓪t N𝓪ω𝓪ℬ༒꧂ #river