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ऐ गर्दिश-ए-अय्याम हमें रंज बहुत है कुछ ख़्वाब थे ऐ

ऐ गर्दिश-ए-अय्याम हमें रंज बहुत है
कुछ ख़्वाब थे ऐसे कि बिखरने के नहीं थे

दुख ये है मेरे यूसुफ व याकूब के खलीक 
वो लोग भी बिछड़े है जो बिछड़ने के नही थें

©THE SILENT LOVE NH #brothersday the silent love nh
ऐ गर्दिश-ए-अय्याम हमें रंज बहुत है
कुछ ख़्वाब थे ऐसे कि बिखरने के नहीं थे

दुख ये है मेरे यूसुफ व याकूब के खलीक 
वो लोग भी बिछड़े है जो बिछड़ने के नही थें

©THE SILENT LOVE NH #brothersday the silent love nh