आग है, चिराग है पर पत्थर दिल तो नही है मोम है, जलता है इंसान भी कभी पिघलता है रुतबा है, जज़्बा है पर फुरसत की कमी है घड़ी है, सामान है पर वक़्त ही तो नही है रौशनी है, चमक है इंसान फिर भी अंधा है सूरज है, चाँद है घरों के दरवाजे फिर भी बंद है सच है, झूठ है इसके भी परे कुछ और है ज़िन्दगी है, मौत है इसके भी आगे सफर लंबा है ©Prateeksha Diary #कड़वासच #कडविजुबां