।।वीर जवान।। सोया हू , मै बंदूकों की बन्द सौर में । सांसों को भी आजादी है , ये हमारे विरो की कहानी है ।। में सोच सकु , इतना सुकून है मुझे । विरो के सुकून का क्या ? अपनी सांसों को भी भुला चुके एसा जुनून और है कहां ? ये आजादी हमारी है , कुर्बानी उनके अपनो ने चुकाई है , विरो ने शहादत कमाई है ।। खुद का घर सम्भाल , ना सकूं दूसरों की परवा किसे करनी है? वीरों ने ये रिवाज़ तोड़ रखी है ।। जान की परवाह किसने की है ? वतन को सम्भाल , अपने परिवार की जिममेदारियां, हमें सौप रखी है ।। कुछ तो कर जाऊ एसा , फक्र हो मुझको, अपने वतन के होने का वीर का गर्व पा ना सका , हो ना मलाल एसा हमको घर उनका सजे हमारे जैसा , कंधों को राहत दे जरा ।। मोह है क्या? परवा है किसकी ? प्यार का लाडला , जान , अपनी हथेली पर सजा रखी है । आजादी , हमारे सर पर सजा रखी है ।। ।।वीर जवान।। सोया हू , मै बंदूकों की बन्द सौर में । सांसों को भी आजादी है , ये हमारे विरो की कहानी है ।। में सोच सकु , इतना सुकून है मुझे । विरो के सुकून का क्या ?