दंभ,लालच और वर्चस्व की अमिट क्षुधा का दुनिया पर प्रभाव है हर ओर युद्ध है,प्रतियुद्ध है, कैसा विनाशकारी मनुष्य का स्वभाव है गोली बारुद मिसाइल से मरते लोगों के बहते रक्त का एक ही रंग है फिर भी कितना दिमाग तंग है, अपने देश में भी अपने ही देश से निरंतर एक जंग है पीढ़ियों ने सही है भुखमरी, महामारी,कुचली गई अति उन्नत संस्कृति हमारी फिर भी बंट रहे हैं आंखों के, त्वचा के रंग में, काफी नहीं कि मनुष्य ही है जाति सारी दंभ,लालच और वर्चस्व की अमिट क्षुधा का दुनिया पर प्रभाव है हर ओर युद्ध है,प्रतियुद्ध है, कैसा विनाशकारी मनुष्य का स्वभाव है गोली बारुद मिसाइल से मरते लोगों के बहते रक्त का एक ही रंग है फिर भी कितना दिमाग तंग है, अपने देश में भी अपने ही देश से निरंतर एक जंग है