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'सियासत की सीख' राज़ मैं अपना बताऊं, आज तुझको आ

'सियासत की सीख' 

राज़ मैं अपना बताऊं, आज तुझको आ 'विजय' 
आज सारी सीख ले-ले, पक्का करले अपना मन 
देख तुझको साधने हैं, सेकुलर से संतुलन।

जो तुझे काला हो लिखना, लिखना तू सफेद सा 
और जो लिखना हो सफेद, तो लिखना लिये कुछ कालापन 
देख तुझको साधने हैं, सेकुलर से संतुलन। 

आग को तू कुछ भी कहना, 'आग' ही बस छोड़ कर 
घास कहना, फूस कहना, बेझिझक फन्टूश कहना 
कह न देना तू तपन 
देख तुझको साधने हैं, सेकुलर से संतुलन। 

और विजय मैं सोचता हूँ, नाम तेरा 'फतह' कर दूं 
क्या फरक है गुलशनों को, नाम उनका हो बगीचा, 
या पुकारें हम चमन 
देख तुझको साधने हैं, सेकुलर से संतुलन। 

मैं अगर ना भी रहूं तो, तू सियासत साधना 
छोड़ना न कोई मौका, आज मुझको दे वचन 
देख तुझको साधने हैं, सेकुलर से संतुलन। 

गर कहीं मैं मर ही जाऊँ, देख लकड़ी कम लगाना 
लाश को आधा जलाना 
बच रहेगी शेष जो, उसको तू करना दफ़न। 
देख तुझको साधने हैं, सेकुलर से संतुलन।

#NaveenMahajan सियासत की सीख 
#NaveenMahajan 
#TumBinIshqNahi
'सियासत की सीख' 

राज़ मैं अपना बताऊं, आज तुझको आ 'विजय' 
आज सारी सीख ले-ले, पक्का करले अपना मन 
देख तुझको साधने हैं, सेकुलर से संतुलन।

जो तुझे काला हो लिखना, लिखना तू सफेद सा 
और जो लिखना हो सफेद, तो लिखना लिये कुछ कालापन 
देख तुझको साधने हैं, सेकुलर से संतुलन। 

आग को तू कुछ भी कहना, 'आग' ही बस छोड़ कर 
घास कहना, फूस कहना, बेझिझक फन्टूश कहना 
कह न देना तू तपन 
देख तुझको साधने हैं, सेकुलर से संतुलन। 

और विजय मैं सोचता हूँ, नाम तेरा 'फतह' कर दूं 
क्या फरक है गुलशनों को, नाम उनका हो बगीचा, 
या पुकारें हम चमन 
देख तुझको साधने हैं, सेकुलर से संतुलन। 

मैं अगर ना भी रहूं तो, तू सियासत साधना 
छोड़ना न कोई मौका, आज मुझको दे वचन 
देख तुझको साधने हैं, सेकुलर से संतुलन। 

गर कहीं मैं मर ही जाऊँ, देख लकड़ी कम लगाना 
लाश को आधा जलाना 
बच रहेगी शेष जो, उसको तू करना दफ़न। 
देख तुझको साधने हैं, सेकुलर से संतुलन।

#NaveenMahajan सियासत की सीख 
#NaveenMahajan 
#TumBinIshqNahi