आपकी बेटी भले ही आपसे कुछ साझा करना चाहेगी तो न कर पायेगी, आपकी नामौजूदगी हमें हमेशा खलती रहेगी, सोचा न था तकदीर ऐसी करवट ले लेगी, वरना पापा की दुलारी तो हम भी कहलाया करती थी,मलाल रहता है हर लम्हा आपके न होने का, फिर भी कशमकश में डूबी आपकी बेटी ये दौर भी पार कर जायेगी, जानती हैं हम जब पिता का हाथ हमारे सिर पर नहीं होता, बदलाव ले लेती नादानी से समझदारी की ओर, खिलखिलाहट और चुलबुलापन हर लम्हा ज़िन्दगी को हम भी जीया करती थी, मगर आपकी बेटी इतनी समझदार जरूर हो गई हर किनारा भले तन्हा लगे उस तन्हा किनारे पर आपकी मौजूदगी हमेशा रहेगी, ये तकलीफ तो ताउम्र साथ रहेगी आपको हम कभी न भूल पायेगी, ♥️ Challenge-980 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।