फ़िज़ाओं में ठंडक घुली और जवां दिलों में वस्ल-ए महबूब की आस सब धुँआ-धुँआ है धुँध से लिपटी रानाइयाँ शबाब पर मौसम-ए-बहार! वल्लाहा ! जवां दिलों पर क़यामत ढहा रहे तेरे ग़ुलाबी रुख़सार पर्दानशीं रहा करो जानां, नज़रा ना जाएँ तेरे खिले-खिले गुलनार। फ़िज़ाओं में ठंडक घुली और जवां दिलों में वस्ल-ए महबूब की आस सब धुँआ-धुँआ है धुँध से लिपटी रानाइयाँ शबाब पर मौसम-ए-बहार! वल्लाहा ! जवां दिलों पर क़यामत ढहा रहे तेरे ग़ुलाबी रुख़सार पर्दानशीं रहा करो जानां, नज़रा ना जाएँ तेरे खिले-खिले गुलनार। 🎀 Challenge-419 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 पिन पोस्ट 📌 पर दिए गए नियमों एवं निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए।