तुम्हे पा ज़िन्दगी से प्यार हो गया एक बेसुरा सा आवाज मेरा देख तुम को संगीत बन गया यूँ तो बात करने में भी सोचता हूँ मैं मगर तुम्हे देख सायर बन गया जो दिल की बात अब तक बयां ना हुई आज गजल बन लबो पे आ गया यूँ तो नफरत थी ज़िन्दगी से हमे तुम्हे पा मगर ज़िन्दगी से प्यार हो गया ढलते सूरज का नज़ारा और भी सुहाना हो गया मैं तो दीवाना था ही तेरी अदाओ का तेरे साथ वक्त गुजार मैं और भी दीवाना हो गया इस सुनहरी शाम का मैं शुक्रगुजार हो गया यूँ तो नफरत थी हमे अपनी ज़िन्दगी से मगर तुम्हे पा हमे ज़िन्दगी से भी प्यार हो गया ज़िन्दगी से प्यार हो गया #कविता