इस घाव को मरहम कोई, या आराम कैसे दु, इस मन में चल रहे युद्ध को विराम कैसे दु? आँखों ने उसके जो देखा उसे सच मान लिया, अब इस शख्सियत को एक नया पहचान कैसे दु? टूटा हुआ बैठा है वो, भीतर मेरे युं ख़ामख़ा, उसके पंखों को ऊर्जा सहित आसमान कैसे दु? ज़िंदगी गुजर रही है अनचाही कश्मकश के संग, इस गुजरते वक़्त को कोई हसीं अंजाम कैसे दु? इश्क़ सा गुनाह था, जो दिल ने कुबूल कर लिया, अब इसमें उसकी गलती है, ये इल्ज़ाम कैसे दु.?? - Vishakha Tripathi #vishakhatripathi #poetry #sayari #love #nozotowrites #lovewords