ढूंढो हर उस बात को, जिसके शुक्रगुजार हो तुम। थामों उन हथेलियों को, जिसे थाम जीवन में ,सुकून के पल चुने थे तुम।। कल-कल नदी की धारा सी मन के बाँध तोड़ ,जिससे मिले थे तुम।। जिसके साथ मिले थे,वो जज्बात जिससे, ग़म-ए-उल्फ़त से भी मुस्कुरा कर निकल गए थे तुम। ©prerna singh #thanks giving #Dosti