#OpenPoetry कभी मैं रुठा उनसे, तो कभी वो मुझसे ख़फा हुई मगर फिर भी मोहब्बत हमें, उनसे कई दफ़ा हुई बरसों सिमटे रहे जिन बाहों में आखिर में उन्हीं से जफ़ा हुई के छुड़ा के हाथ यूँ गई, जैसे कटी हो पतंग और तेज़ हवा हुई मगर फिर भी मोहब्बत हमें, उनसे कई दफ़ा हुई #मोहब्बत