वो क्या है दीदा-ए-तर में छुपा रक्खा है तुमने जो? ये कैसा बोझ है दिल पर उठा रक्खा है तुमने जो? ये कैसी रहगुज़र है ख़्वाबों की ताबीर पाने की! कि बरसों से इन आंखों को बिछा रक्खा है तुमने जो! वो धुंधला दूर जाता यादे-माज़ी का कोई लम्हा, तुम्हे निस्बत है उससे क्या..सजा रक्खा है तुमने जो! जो गिर्या हैं बहुत से दर्द दिल की एक बस्ती में, ये कैसा ज़ख़्म है अब तक हरा रक्खा है तुमने जो! #yqaliem #yqbhaijan #deeda_e_tar #rahguzar #khwaab दीदा-ए-तर - tearful eyes ताबीर - interpretation निस्बत - connection