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White अब तो गांव भी बदलने लगे है , और शहर जैसे लगन

White अब तो गांव भी बदलने लगे है ,
और शहर जैसे लगने लगे है ।

वो कच्चे मिट्टी के घर अब गिरने लगे है ,
अब तो सीमेंट ईट के मकान बनने लगे है ।

दूर- दूर तक फैले होते थे घर के  आंगन,
भाई-भाई के झगड़े में वो भी अब सिमटने लगे है।

घर के बाहर होते थे नीम और फलदार पेड़ अब वो भी कटने लगे है,
अब तो गमले में तरह-तरह के पेड़ और फूल खिलने लगे है ।

हुआ करते थे गांव में कुएं और वहां लोगों का जमघट,
अब तो वो कुएं भी सूखने लगे है,हर घर बोरवेल होने लगे है ।

खेतों को जोतते थे वो बैल अब वो भी बिकने लगे है ,
अब तो खेतों  में चलते  ट्रैक्टर दिखने लगे है ।

अब तो गांव भी बदलने लगे है ,
अब तो बेटे भी मां-बाप से दूर रहने लगे है ।

©Lalit Musiya
  अब तो गांव भी बदलने लगे हैं #story #Poetry
lalitmudiya9728

Lalit Musiya

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अब तो गांव भी बदलने लगे हैं #story Poetry #कविता

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