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“पंछी की उड़ान” पंछी बन उड़ना है दूर गगन। म

      “पंछी की उड़ान”

पंछी बन उड़ना है दूर गगन।
मंज़िल पाना है होकर मुझे मगन।

हरी डाली पर मुझे अपना घरौंदा बनाना है।
इसको पूरा करने वास्ते ख़्वाब हमें पिरोना है।

हर इंसान चाहता उसे उड़ने को मिले।
हम पंछी चाहते रहने को घर मिले।

क्या पंछी का दर्द समझा सका ये ज़माना है।
इंसान पेड़ काट कर तोड़ दिया मेरा आशियाना है।

हम पंछी को आसमान में उड़ान भरने में आराम आज़ादी मिलती है।
हमें पिंजड़े में क़ैद क्या कर दिया खुशी नहीं मिलती है।

एक एक तिनका जोड़ कर मैं अपना घर बनाती हूंँ।
धूप, हवा, बारिश, तूफ़ान झंझावातों से अपना परिवार बचाती हूंँ।

मेहनत करने से मैं कभी नहीं घबराती हूंँ।
अपने छोटे से शरीर से बड़ा काम कर जाती हूंँ।


 #प्रतिरूप 
#kkप्रतिरूप 
#कोराकाग़ज़ 
#कोराकाग़ज़प्रतिरूप 
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#प्रतिरूपग़ज़ल
#rimjhim_thoughts 
#विशेषप्रतियोगिता
      “पंछी की उड़ान”

पंछी बन उड़ना है दूर गगन।
मंज़िल पाना है होकर मुझे मगन।

हरी डाली पर मुझे अपना घरौंदा बनाना है।
इसको पूरा करने वास्ते ख़्वाब हमें पिरोना है।

हर इंसान चाहता उसे उड़ने को मिले।
हम पंछी चाहते रहने को घर मिले।

क्या पंछी का दर्द समझा सका ये ज़माना है।
इंसान पेड़ काट कर तोड़ दिया मेरा आशियाना है।

हम पंछी को आसमान में उड़ान भरने में आराम आज़ादी मिलती है।
हमें पिंजड़े में क़ैद क्या कर दिया खुशी नहीं मिलती है।

एक एक तिनका जोड़ कर मैं अपना घर बनाती हूंँ।
धूप, हवा, बारिश, तूफ़ान झंझावातों से अपना परिवार बचाती हूंँ।

मेहनत करने से मैं कभी नहीं घबराती हूंँ।
अपने छोटे से शरीर से बड़ा काम कर जाती हूंँ।


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