यादें... कुछ साल पहले मैंने मसूरी में एक बेहद, बेइंतिहा, बला की ख़ूबसूरत क्रिश्चयन लड़की को तोते वाले हरे रंग की जैकेट पहने देखा फिर मसूरी की कोई भी हरियाली मुझे समझ ही नहीं आई, सारा टूर सिर्फ उसके साथ मनघढ़ंत काल्पनिक कहानियाँ सोचते सोचते गुज़र गया, कभी ड्राइवर तो कभी गाइड तो कभी ज़रूरत के वक्त मदद करने वाला हीरो बन जाता। बड़ी दिलचस्प बात है कि मैं कल्पनाओं में कभी भी राजकुमार, या पैसे वाला बनना नही पसंद करता। उस दिन मैंने जान लिया इश्वर की सबसे सुंदर कृति मनुष्य है और सबसे अच्छा जीवन आम इंसानों का।