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लाल छिने कई, कहीं लाली रोए हुए अलग घर -देश। कई चीख

लाल छिने कई, कहीं लाली रोए
हुए अलग घर -देश।
कई चीख़-पुकार की है ये तारिख जिसमे दर्द छिपे अनेक।
वो बावली की कुछ पँक्तियाँ, जब पिया था परदेस...
कि प्रेम पतिया तब लिखूं, जब पिया हो परदेस।
मन में, तन में,जन में! ताको कहाँ संदेश ?
.....हिमानी सिंह

©Himani  Singh
  26/11 की याद
जब पिया हो परदेस...
#26/11
#poetry
#hindi_poetry 
#poetryonterrorattack

#26/11
लाल छिने कई, कहीं लाली रोए
हुए अलग घर -देश।
कई चीख़-पुकार की है ये तारिख जिसमे दर्द छिपे अनेक।
वो बावली की कुछ पँक्तियाँ, जब पिया था परदेस...
कि प्रेम पतिया तब लिखूं, जब पिया हो परदेस।
मन में, तन में,जन में! ताको कहाँ संदेश ?
.....हिमानी सिंह

©Himani  Singh
  26/11 की याद
जब पिया हो परदेस...
#26/11
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#poetryonterrorattack

#26/11
himanisingh8684

Himani Singh

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