कोई इश्क़ में मशरूफ हुआ बैठा है, कोई ताकत में मगरूर हुआ बैठा है, कोई रोटी को मजबूर हुआ बैठा है, वो भुलाकर जवानी, इश्क़,भूख को, सर सजाये माँ भारती के चरणों पर, दुश्मन के लिए शमशीर लिए बैठा है watan ki khatir