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मौसम सदैव बदलते रहते चाहे हो सर्दी-गर्मी धूप या बर

मौसम सदैव बदलते रहते चाहे हो सर्दी-गर्मी धूप या बरसात,
जीवन रूपी इस यात्रा में हमेशा एक से नहीं रहते हैं हालात।

पल्लवित होती कोंपलों सा बचपन, यौवन में संघर्ष की बात,
कभी फ़िकर दो रोटी की, कभी प्रेम में डूबे हुए से ख़यालात।

कभी आता खुशियों का सावन तो कभी दुःखों का झंझावात,
नई उम्मीदों का सवेरा तो कभी असफल कोशिशों से भरी रात।

गिर जाते हैं कभी कुछ रिश्ते भरभरा कर जैसे पतझड़ में पात,
खिलते प्रेम पुष्प जीवन बगिया में बनकर बसंत की शुरुआत।

गुनगुनाती  शरद की मीठी सी बातें कभी  सर्द से होते जज़्बात,
फिर शुरू होता नया चक्र, देखते ही देखते आती मृत्यु अकस्मात

विचलित ना हों परिस्थितियाँ दुष्कर होने पर, धैर्य दिलाता निजात,
सुख और दुःख दोनों ही अवस्थाएँ स्थिर रखती जीवन का अनुपात।

परिवर्तन ही प्रकृति  का नियम फिर इन मौसमों की क्या बिसात,
हर दिन नया समझकर एक नए सिरे से करें ज़िंदगी से मुलाक़ात। यही है अनाम बात  😁

#pnpabhivyakti  #pnpabhivyakti4 #अनाम_ख़्याल #अनाम_बात #रात्रिख़्याल #जीवनयात्रा
मौसम सदैव बदलते रहते चाहे हो सर्दी-गर्मी धूप या बरसात,
जीवन रूपी इस यात्रा में हमेशा एक से नहीं रहते हैं हालात।

पल्लवित होती कोंपलों सा बचपन, यौवन में संघर्ष की बात,
कभी फ़िकर दो रोटी की, कभी प्रेम में डूबे हुए से ख़यालात।

कभी आता खुशियों का सावन तो कभी दुःखों का झंझावात,
नई उम्मीदों का सवेरा तो कभी असफल कोशिशों से भरी रात।

गिर जाते हैं कभी कुछ रिश्ते भरभरा कर जैसे पतझड़ में पात,
खिलते प्रेम पुष्प जीवन बगिया में बनकर बसंत की शुरुआत।

गुनगुनाती  शरद की मीठी सी बातें कभी  सर्द से होते जज़्बात,
फिर शुरू होता नया चक्र, देखते ही देखते आती मृत्यु अकस्मात

विचलित ना हों परिस्थितियाँ दुष्कर होने पर, धैर्य दिलाता निजात,
सुख और दुःख दोनों ही अवस्थाएँ स्थिर रखती जीवन का अनुपात।

परिवर्तन ही प्रकृति  का नियम फिर इन मौसमों की क्या बिसात,
हर दिन नया समझकर एक नए सिरे से करें ज़िंदगी से मुलाक़ात। यही है अनाम बात  😁

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