Nojoto: Largest Storytelling Platform

पल्लव की डायरी शाखों में पतझर बे मौसम होने लगे है

पल्लव की डायरी
शाखों में  पतझर बे मौसम होने लगे है
प्यार के तराने,बोझिल होने लगे है
छाव प्रीत की बची कहाँ है
रिश्तो की आग थानो में पहुँचने लगी है
 अटूट परिवारो की टूटन और द्वन्दों से
संस्कारो की फुलवारी झुलसने लगी है
स्वार्थो और लालचों की चलती आँधी मै
मूल कर्तव्यों की होली जलने लगी है
कोमल मन,सुंदर भावनाओ की धारणाये
भौतिकता की चकाचौध में,कुंठित मिली है
लगता है मानव मन की संवेदनाये
संसाधनों में मरी पड़ी है
                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Rose
मानव मन की संवेदनाये,संसाधनों में मरी पड़ी है
#Rose
पल्लव की डायरी
शाखों में  पतझर बे मौसम होने लगे है
प्यार के तराने,बोझिल होने लगे है
छाव प्रीत की बची कहाँ है
रिश्तो की आग थानो में पहुँचने लगी है
 अटूट परिवारो की टूटन और द्वन्दों से
संस्कारो की फुलवारी झुलसने लगी है
स्वार्थो और लालचों की चलती आँधी मै
मूल कर्तव्यों की होली जलने लगी है
कोमल मन,सुंदर भावनाओ की धारणाये
भौतिकता की चकाचौध में,कुंठित मिली है
लगता है मानव मन की संवेदनाये
संसाधनों में मरी पड़ी है
                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Rose
मानव मन की संवेदनाये,संसाधनों में मरी पड़ी है
#Rose