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कमर से बंधी उलझी डोर तुम सुलझा दो। आग जो लगी है दि

कमर से बंधी उलझी डोर तुम सुलझा दो।
आग जो लगी है दिल में उसे तुम बुझा दो।।
मेरी नींदों को पास लिटाकर तुम सुला दो।
मेरे सपनों को बाहों में लेकर आज झुला दो।।

©karan Raj
  shayari #Do #L♥️ve #Shayar
karankumar8399

karan Raj

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