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ख़ामोश आज फिर से वो कुछ नही बोली जिन्दगी की एक छ

ख़ामोश 
आज फिर से वो कुछ नही  बोली 
जिन्दगी की एक छोटी
 मुस्कान  को किसी ने चोरी  कर दिया 
फिर भी वह कुछ नही बोली 
जो कुछ था  सब कुछ छीन लिया
आज फिर से वो कुछ नही बोली
 बडी.  सीधी - साधी बेचारी सी लगती है ये 
आज फिर से किसी  ने इसे फँसा दिया 
फिर भी वो कुछ नहीं बोली 
असहनीय दुःख का  जहर पी गयी 
जिन्दगी से हर पल गिर कर सभँल गयी 
अरसो से उसके सम्मान में हजारों छेद हो गये 
पिर भी  वो कुछ नही बोली 
न जाने  कब तक वो चुप बैठगी 
आज  फिर से वो कुछ नहीं बोली. #खामोश
ख़ामोश 
आज फिर से वो कुछ नही  बोली 
जिन्दगी की एक छोटी
 मुस्कान  को किसी ने चोरी  कर दिया 
फिर भी वह कुछ नही बोली 
जो कुछ था  सब कुछ छीन लिया
आज फिर से वो कुछ नही बोली
 बडी.  सीधी - साधी बेचारी सी लगती है ये 
आज फिर से किसी  ने इसे फँसा दिया 
फिर भी वो कुछ नहीं बोली 
असहनीय दुःख का  जहर पी गयी 
जिन्दगी से हर पल गिर कर सभँल गयी 
अरसो से उसके सम्मान में हजारों छेद हो गये 
पिर भी  वो कुछ नही बोली 
न जाने  कब तक वो चुप बैठगी 
आज  फिर से वो कुछ नहीं बोली. #खामोश