ए ज़िंदगी अकेले रहना पड़े तो ज़िन्दगी मौत से भी बत्तर लगती है।। तन्हा ज़िन्दगी तो काटी नहीं जाती पर लकड़ियों पे लाश अकेली ही जलाई जाती।। ए ज़िन्दगी तुझसे क्या शिकायत करू तू तो सबका सब लेती सबका सब देती है।। ए ज़िन्दगी भी बहुत रंग दिखाती है कभी हंसाती कभी रुलाती।। और ना जाने कितने अपने लोगो को पीछे छोड़ जाती।। ©Diaryreena ए ज़िंदगी अकेले रहना पड़े तो ज़िन्दगी मौत से भी बत्तर लगती है।। तन्हा ज़िन्दगी तो काटी नहीं जाती पर लकड़ियों पे लाश अकेली ही जलाई जाती।। ए ज़िन्दगी तुझसे क्या शिकायत करू तू तो सबका सब लेती सबका सब देती है।।