मुझसे पीछे न रह जाना सफर में खुदमे कुछ अय्यारी तो रख।। मैं आसानी से जीत ना जाऊ अपनी कुछ तैयारी तो रख।। इम्तहान थोड़ा मुश्किल है तेरे लिए, तैयारी थोड़ी औऱ जरूरी है ईमानदारी की चादर ओढ़े रखना भी तो तेरी मजबूरी है। झूठी खबर है कि वो भी जमा है बगल वाले कमरे मे। ये अस्पताल है भाई आएगा तेरा भी नंबर बस थोड़ा सा इंतजार अपनी बारी का तो रख। झूठ की उम्र पक्की बेशक है, पर लंबी नही हो सकती टूटी लकड़ी कभी बैसाखी नही हो सकती झूठ की बंधी हुई डोर कभी राखी नही हो सकती हो सकता है कर्म किसी का काला, पर धर्म की डोर मैली नही हो सकती छोटी हो सकती है मेरे कर्म की चादर पर बेईमानी के कीचड़ पर फैली नही हो सकती अय्यारी