तेरी हस्ती मिटा दूंगा!,सांसे रोक कर ज़िन्दगी तू रुलाया ना कर उलझनें और भी है राहों में यूँ ही भटक के रास्ता भुलाया ना कर।। तेरी अकड़ तो बस चलने तक है जलती आग बुझाया न कर।। खाक से पूंछना ना, जलने का मज़ा यूँ खाक से ऐसे, मुह न लगाया कर।। ज़िन्दगी तू रुलाया ना कर...... #तूज़िन्दगी