मंदिर , मस्जिद , गिरजा गया ... लेकिन नहीं मिले भगवान | वहां मुझको बैठे मिले दुनिया के सब शैतान.... आज के समय (वर्तमान) मैं आगे आगे रावण चले पीछे पीछे राम | फिर भी नहीं मिले भगवान | भगवान (राम) का नाम लेते लेते होते हैं सब गलत काम | रावण का रूप धारण किये लेते राम का नाम | माथे मैं तिलक धारण किये बन चले भगवान | फिर भी नहीं मिले भगवान फिर भी नहीं मिले भगवान ........ तीर्थ, हज किया सब मैंने ...... नहीं किया आराम कीर्तन - भजन किया सब मैंने लेकर राम का नाम ..... लेकिन नहीं मिले भगवान | रहा (मार्ग) ढूंढने निकला मैं भी.... साधु संत हाजी गुरुओं का नाम मार्ग दिखाने चले थे मुझको .... जपते थे, अपना नाम फिर भी नहीं मिले भगवान | कहाँ जाऊ किस किस से पूछूं कहाँ गए भगवान... कहाँ मिले भगवान, मुझको कहाँ मिले भगवान | सोच विचार किया जब मैंने तो ज्ञान हुआ भगवान | हर जीव मैं तू बसा हैं ...... क्यों ढूंढे तुजे ईशर उधर इंसान तुझे क्यों ढूंढे इंसान | क्यों मुर्ख बने इंसान ...... क्यों मुर्ख बने इंसान | भूपेंद्र रावत ©Bhupendra Rawat मंदिर , मस्जिद , गिरजा गया ... लेकिन नहीं मिले भगवान | वहां मुझको बैठे मिले दुनिया के सब शैतान.... आज के समय (वर्तमान) मैं आगे आगे रावण चले पीछे पीछे राम | लेकिन मुझे तब भी नहीं मिले भगवान |