निशान और निशानियाँ... (Read the complete creation in the caption) सुबह की पहली किरण के साथ कश्मकश शुरू हो जाती है हाथ में एक गीला कपड़ा लिए पाँव इधर से उधर भागते हुए, ज़िंदगी समेटने की एक थका देने वाली कोशिश के साथ कुछ निशान मिटाते हुए कुछ निशान बनाते हुए चारों तरफ़ जहाँ तक नज़र जाती है उठते बैठते बस हर जगह बस उन मटमैले दाग़ों को हटाने की कवायत