वक्त का बहाब देख,अभी दूर है मंजिले मचलता क्यों है! अभी तो कोशिशें है,सुरुआत है,है जिन्दगी,अभी उवलता क्यों है!! खामोश भी हो ले,गिनती कर भी ले,वक्त है तो चलेगा ही! आकाश में डोर है,कटा पतंग भी,तू ऐसे ही उछलता क्यों है!! कहने का क्या अभी,तू सोंच ले,तू मान ले,बस मन की ठान ले! अभी दूर सा मुकाम है,क्या पता तुम्हें आगे कैसा अंजाम है! तू जिन्दगी जीने का इजहार तो कर,वक्त है इसका एतबार तो कर! अभी-अभी ठोकरों से दो चार हो ले,अभी से ऐसे बदलता क्यों है!! जरा सोंच तो वक्त के बहाब में क्या-क्या बहा-क्या रह गया! सोंचना तो गौर से,गुजरा है वक्त तेरे पास से,ना जाने क्या कह गया! तू देख तो वक्त के प्रवाह को,ऐसी कोशिशें तो हर बार कर! अभी सफरमें काफिला आनेबाला है,ऐसेमें बचके निकलता क्यों है!! वक्त का बहाव देख