️#हम मजदूर हैं साहेब...... लड़खड़ाती छोड़कर चंद सांसों को घरौंदें मैं कितना लगा चौराहे पर हम दाम देखते हैं..! हमको कहां फुर्सत आराम की ना शाम देखते हैं..!! हम मजदूर हैं साहेब मजदूर हम काम देखते हैं..!!! गहरे घाव की वेदना में कहा हम पलट कर पावं देखते हैं..! अभी कितना देना है दहेज कर और कितना रखना है सहेज कर कभी-कभी आस्तीन में झांक कर कितना बचा दाम देखते हैं..!! हम मजदूर हैं साहेब मजदूर हम काम देखते हैं..!!! ना सर पर पगड़ी ना छांव हों तगड़ी कहां हम घाम देखते हैं..! मिल जाए ग़र किस्मत से मुट्ठी भर मिट्टी तो किसका कंधा, किसने कहा, कहां हम राम-राम देखते हैं..!! हम मजदूर हैं साहेब मजदूर हम काम देखते हैं..!!! कभी चल पड़ता हूं बस्तियां छान- छान कर ना मिटने वाली भूख के लिए दान देखते है..! जब पहुंचता हूं थक हार कर दलालों के दलदल मै ये निगाहेँ भी अब हमको बदनाम देखते है..!! हम मजदूर हैं साहेब मजदूर हम काम देखते हैं..!!! जिंदगी से कौन हारा कौन जीता कहां हम नाम देखते हैं..! अभी-अभी टूटा है किस्मत से रूठा है फंदे पर कौन लटका? जनाब हम अपनों की आंखों में भी गुमनाम देखते है..!! हम मजदूर हैं साहेब मजदूर हम काम देखते हैं..!!! @darshan राaj....✍️ ©Darshan राaj...✍️ #a #मजदूर #बेरोजगार #Nojoto #nojotonews #nojotopoetry #nojotohindi #nojotoshayari #nojotoLove #Baat घाम=धूप GAUTAM SHAKUNTALA GOSAI मañjü pãwãr Haquikat 💎 कवि राहुल पाल