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गैरो से तो उम्मीद भी नहीं करता, और अपनो के आगे, खु

गैरो से तो उम्मीद भी नहीं करता,
और अपनो के आगे,
खुद को ही उनकी उम्मीद समझता!
जाने क्या मजबूरी हैं, 
गैरो से ज्यादा अपनो से ही दुरी हैं!
शायद मेरे वक़्त मे कमजोरी हैं ,
या रिश्तो की समझ मेरी अभी भी अधुरी हैं! #गैरो से तो उम्मीद भी नहीं करता,
और अपनो के आगे,
खुद को ही उनकी उम्मीद समझता!
जाने क्या मजबूरी हैं, 
गैरो से ज्यादा अपनो से ही दुरी हैं!
शायद मेरे वक़्त मे कमजोरी हैं ,
या रिश्तो की समझ मेरी अभी भी अधुरी हैं!
गैरो से तो उम्मीद भी नहीं करता,
और अपनो के आगे,
खुद को ही उनकी उम्मीद समझता!
जाने क्या मजबूरी हैं, 
गैरो से ज्यादा अपनो से ही दुरी हैं!
शायद मेरे वक़्त मे कमजोरी हैं ,
या रिश्तो की समझ मेरी अभी भी अधुरी हैं! #गैरो से तो उम्मीद भी नहीं करता,
और अपनो के आगे,
खुद को ही उनकी उम्मीद समझता!
जाने क्या मजबूरी हैं, 
गैरो से ज्यादा अपनो से ही दुरी हैं!
शायद मेरे वक़्त मे कमजोरी हैं ,
या रिश्तो की समझ मेरी अभी भी अधुरी हैं!

#गैरो से तो उम्मीद भी नहीं करता, और अपनो के आगे, खुद को ही उनकी उम्मीद समझता! जाने क्या मजबूरी हैं, गैरो से ज्यादा अपनो से ही दुरी हैं! शायद मेरे वक़्त मे कमजोरी हैं , या रिश्तो की समझ मेरी अभी भी अधुरी हैं! #विचार