थपेड़ों से ज़िंदगी के आशुफ़्ता होना वाजिब था किससे खफ़ा रहूँ ,मैं ख़ुद अपनी किस्मत का कातिब था। __________________________ आश़ुफ्ता ही रखा जिम्मेदारियों के इल्म ने, लियाक़त जिंदगी ने सिखाई तो बहुत थी । ___________________________ आशुफ्ता .... अस्तव्यस्त/परेशान इल्म .....जानकारी लियाकत .... शालीनता