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ना जाने कितने हो गए ख़ामोशी से सुपुर्द-ए-ख़ाक में

ना जाने कितने हो गए ख़ामोशी से सुपुर्द-ए-ख़ाक में
तो कई है दफ़्न-ए-मिट्टी में हक़ से फ़ना भी होते रहे है
अफ़सोस है कुछ लगे है खुलेआम क़त्ल-ओ-ग़ारत में
पर कहने को कहते है मुझे तो ग़म है मैं तो सदमे में हूं

©अदनासा- #हिंदी #क़त्ल #ग़म #सदमा #खाक़ #दफ्न #Pinterest #Instagram #Facebook #अदनासा