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जब मैं तुम्हें नशात-ए-मोहब्बत न दे सका ग़म में कभ

जब मैं तुम्हें नशात-ए-मोहब्बत न दे सका

ग़म में कभी सुकून-ए-रिफ़ाक़त न दे सका

जब मेरे सब चराग़-ए-तमन्ना हवा के हैं

जब मेरे सारे ख़्वाब किसी बेवफ़ा के हैं

फिर मुझ को चाहने का तुम्हें कोई हक़ नहीं

तन्हा कराहने का तुम्हें कोई हक़ नहीं
जौन एलिया

©साहिर उव़ैस sahir uvaish
  #sparsh #जौन_एलिया