"" बस गले से लगा लो "" बहुत कराया इंतेज़ार अब गले से लगा लो न मिलकर हमसे फिर न ऐशी सजा दो अबतक हम जी रहे थे बिताई यादो के सहारे तुम रूबरू हुए जबसे अब सुकून आया हमारे बस यही चाहत थी फिर से एक बार मिल लू गले लगा करके तुमको बहो मैं भर लू जो न कह पायी कभी जो न तुम सुन पाए कभी उन अनकही बातो को भी जी भर के तुमसे कर लू आने लगे बातो के बीच हमारी आँखों से आशु पोछना चाहते तो थे लेकिन मजबूर थे वो उनकी तकलीफो को मैं भी समझता हु क्यो वो न चाह के भी किसी और के हो गए वो रखकर मेरी होठो पर उंगली थे उनके भी आखो में आशु अचानक गले लगा कर कही ओझल से हो गए वो दुबे दीपक #hugday#valentinedays