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फैली होती थी प्रांगण में खुशबू माला के फूल की नृत

फैली होती थी प्रांगण में खुशबू माला के फूल की
 नृत्य, गीत ,होती थी बात भारत माता के नूर की 
दूर से ही जी ललचाते थे, वह लड्डू मोतीचूर के 
इन दिनों याद बहुत आती है मुझको मेरे स्कूल की

©PoojaKulshrestha #RepublicDay2022
फैली होती थी प्रांगण में खुशबू माला के फूल की
 नृत्य, गीत ,होती थी बात भारत माता के नूर की 
दूर से ही जी ललचाते थे, वह लड्डू मोतीचूर के 
इन दिनों याद बहुत आती है मुझको मेरे स्कूल की

©PoojaKulshrestha #RepublicDay2022