महकती हवाएँ ये कहाँ से आ रही हैं जो इतनी खुशबू फिज़ाओं में घोल रही हैं छू रही हैं मेरी रूह को मेरा तन बदन भिगो रही हैं शायद आज फिर से वो अपनी छत पर बाल सुखा रही हैं 🌝प्रतियोगिता-75 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"महकती हवाएँ "🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I