ग़ज़ल मैं तेरे पास ,,, क्यूं आया बेकार में? दर्द मिलता रहा ,,, उम्र भर प्यार में, ढूंढते–ढूंढते मैं यहां ,,, थक गया, मां, पिता सा, नहीं ,,, कोई संसार में, अब तो उसके भी शादी के दिन आ गए, जिंदगी इतनी गुजरी है रफ़्तार में, वो,,, मुसलसल उसे देखते रह गई, जब ,, मेरी फोटो आई थी अख़बार में, मेरी इज्ज़त से ,,, उसको बहुत प्यार था, फूल जड़ती थी वो ,,, मेरे दस्तार में, जब तुझे छू के,,, मुझ तक हवा आती है, दर्द–ओ–गम आते हैं,,, मेरे अशआर में, जीत का जश्न मैं भी मनाता,,, मगर, हार जाता है ‘वर्धन’ ,,,, तेरी हार में। ~ हर्षवर्धन ©Harshwardhan Pandey #gajal #shayri #matla #212212212212 #bekar_me