तू जो मिला मेरा जहाँ मिल गया तेरे साये तले ज़िंदगी का आख़री पहर हो निशदिन रहे ख़यालों में तुम अब तेरे आग़ोश में अब हर सहर हो। ज़िंदगी के रेगिस्तान में छाया दे तुम मेरे लिए वो हरा शज़र हो। धूप किनारे कर साया बनना तुम तेरी पलकों तले मेरा घर हो। सुनो रूठूँ जो कभी तुम मना लेना मेरी पलकों पर धरे तेरे अधर हो। कितना हसीन मंज़र होगा जब तू मेरे अश्क़ पोंछे और सीने पर सर हो। अब मुझे क्यूँ हो परवाह किसी की तू जो साथ मेरे फिर क्यूँ किस का डर हो। एक दूजे के सीने में ठिकाना है अपना छूटे दुनिया सारी चाहे बंद अब हर दर हो ♥️ Challenge-696 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।