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संध्या मिलन निश्चित है अपना हर क्षितिज पर, पर य

संध्या 

मिलन निश्चित है अपना हर क्षितिज पर, 
पर ये वक्त और माहौल बिल्कुल भी मुनासिब है नहीं लिखने को ख़त ।
 
बादलों ने घेर रखा है मुझे चारों तरफ़
 से, और राहु भी खड़ा मुंह बाए राहों में।
 तुम मगर विचलित न होना,मेरी उल्फत।

मिलन की राह में, रुकावटें तो आती 
रहतीं  खासकर...
           
 "सिर्फ़ तुम्हारा भास्कर"

©Anuj Ray #Khat
संध्या 

मिलन निश्चित है अपना हर क्षितिज पर, 
पर ये वक्त और माहौल बिल्कुल भी मुनासिब है नहीं लिखने को ख़त ।
 
बादलों ने घेर रखा है मुझे चारों तरफ़
 से, और राहु भी खड़ा मुंह बाए राहों में।
 तुम मगर विचलित न होना,मेरी उल्फत।

मिलन की राह में, रुकावटें तो आती 
रहतीं  खासकर...
           
 "सिर्फ़ तुम्हारा भास्कर"

©Anuj Ray #Khat
anujray7003

Anuj Ray

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