संध्या मिलन निश्चित है अपना हर क्षितिज पर, पर ये वक्त और माहौल बिल्कुल भी मुनासिब है नहीं लिखने को ख़त । बादलों ने घेर रखा है मुझे चारों तरफ़ से, और राहु भी खड़ा मुंह बाए राहों में। तुम मगर विचलित न होना,मेरी उल्फत। मिलन की राह में, रुकावटें तो आती रहतीं खासकर... "सिर्फ़ तुम्हारा भास्कर" ©Anuj Ray #Khat