बिछड़ कर तुमसे पीने के बहाने ढूंढ़ते हैं हम **भटकते रहते राहों में ठिकाने ढूंढ़ते हैं हम **कदम जब लड़खड़ाते हैं संभल जाता हूं मैं गिरकर **चाहता खुल के मैं जीना तराने ढूंढ़ते हैं हम** ©Savitri Parveen Kumar #Travelstories