मैं राह-रौ बन मुसलसल ज़िंदगी की डगर पर चलता रहा ठहरा जो दरख़्त की छाँव में तो पीछे टूटे सपनों को पाया। यूँ ही Collab if you want #राह_रौ :- यात्री #ज़िंदगी #अनाम_ख़्याल