जो मसअला है आज ये रोने की बात है कब से छुपा है राज़ ये रोने की बात है रोने से हमको रोकने वालों ज़रा सुनो है बस यही इलाज ये रोने की बात है है सैकड़ों मजदूरों के हाथों का मकबरा ये आगरे का ताज ये रोने की बात है इन खेत जंगलों को शहर में बदल के अब कैसे उगे अनाज ये रोने की बात है औरत पे, गरीबों पे, औ मज़लूम बशर पर हँसता है जब समाज ये रोने की बात है रो रो के सह रहे हैं सभी ज़ुल्म पर खिलाफ़ उठती नहीं आवाज़ ये रोने की बात है -'चौरसिया'- #रोनेकीबात #smile #crying #poetry #ghazal