वो ख़ूबसूरत शाम जिसमे तुमसे यूँ अचानक मिलना, कभी ना भूल पाऊँगी! मौसम की पहली फुहारों में भीगते भागते तुमसे टकराना, कभी ना भूल पाऊँगी! मेरी लापरवाही मेरी गलती होने पर भी तुम्हारी क्षमा याचना, कभी ना भूल पाऊँगी! बारिश और ठंडी हवाओं से कँपकपी में तुम्हारा रेनकोट देना, कभी ना भूल पाऊँगी! अगर आपको सही लगे तो मैं आपको घर छोड़ दूँ बोलना, कभी ना भूल पाऊँगी! नाटकीय तरीके से हुई हमारी मुलाक़ात तुम्हीं बताओ भला, क्या कभी भूल पाऊँगी! ♥️ Challenge-590 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।