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*संवेदना या किताबी ज्ञान महत्वपूर्ण क्या??* किताबी

*संवेदना या किताबी ज्ञान महत्वपूर्ण क्या??*
किताबी ज्ञान से ज्यादा जरूरी है जीवन का व्यवहारिक ज्ञान..जिसे समझने के लिए व्यक्ति का संवेदनशील होना जरूरी है क्योंकि संवेदनाओं के बिना व्यक्ति को पढ़ना नामुमकिन है.. अगर पढ़ा-लिखा उच्च डिग्री धारी व्यक्ति समझदार होता ...तो देश दुनियाँ समाज, परिवार कहीं पर भी बँटवारा या अलगाव नही होता । आजकल हर घर में कोई एक तो पढ़ा-लिखा मिल ही जायेगा ... फिर भी घरों में महाभारत चालू है , तानों की छींटाकशी चालू है .. क्योंकि पढ़-लिखकर लोगों ने घर फोड़ना ही सीखा है । सिर्फ इसलिए क्योंकि वे संवेदना हीन हो गये हैं ।इनको धन की भाषा तो समझ आती है किन्तु मन की भाषा समझने में निरे मूर्ख हैं । *असल ज्ञानी वो होता है जो सबको जोड़कर रखता है ।* आजकल कहने को चार भाई हैं लेकिन हैं सब लावारिस ... बदकिस्मती से लावारिस सड़कों पर अकेले रहते हैं लेकिन आजकल की पढ़ी-लिखी जनता घरों में अकेली रहती है वो भी भरा पूरा परिवार होते हुए सिर्फ धन के लालच में ,तो हुए ना लावारिस,,
घर बड़ा है और मर रहे अंत में प्यासे अकेले... सुनसान घर में,लास उठाने म्यूनिसिपैलिटी वाले आते हैं.. अच्छे-अच्छे पढ़े-लिखों के यही हाल हैं। सिर्फ इसलिए क्योंकि उनकी संवेदनाएँ मर चुकीं हैं । जबकि किताबें गढ़ी इसलिए गई कि लोगों में मानवता आये .. लेकिन इनको पढ़कर लोग चालाकी सीख गये । जिससे धोखा देना , झूठ बोलना , जालसाजी करना इन्हें आ गया और संवेदनहीन हो गये । 
✍️ प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान ©
सागर मध्यप्रदेश भारत ( 07 जुलाई 2023 )
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