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हर रोज जिंदगी का,एक नया मुकाम हैं। में राही मंजिल

हर रोज जिंदगी का,एक नया मुकाम हैं। 
में राही मंजिल का,चलना ही मेरा काम हैं। 
गिरना गिरकर उठना,मुझे सम्हल कर चलना हैं। 
में हूँ  एक मुसाफ़िर,बस मेरी यही पहचान हैं॥

©Santosh Malviya(kavi prerak) good morning#poetry prerak
हर रोज जिंदगी का,एक नया मुकाम हैं। 
में राही मंजिल का,चलना ही मेरा काम हैं। 
गिरना गिरकर उठना,मुझे सम्हल कर चलना हैं। 
में हूँ  एक मुसाफ़िर,बस मेरी यही पहचान हैं॥

©Santosh Malviya(kavi prerak) good morning#poetry prerak