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शर्मसार इंसानियत दुनियाँ के हर कोने में रोज न जान

 शर्मसार इंसानियत
दुनियाँ के हर कोने में रोज न जाने कितनी 
ही बहू, बेटियों की आबरू लुटती रहती है।
होती हैं बेशर्मी और दरिंदगी की हदें पार 
तब होने लगती है सारी इंसानियत शर्मसार।

अपना बनके करते हैं हैवानियत, इंसानियत 
भूल दुष्कर्म करते रिश्तों को भूल जाते हैं।
जाने कैसे हो जाते हैं इतने दरिंदे कि किसी 
मजबूर, लाचार की आवाज न सुन पाते हैं।

कहीं भी सुरक्षित नहीं है बहू बेटियाँ हर दम 
ही अनजाने डर के साये में जीती रहती हैं।
शर्मसार इंसानियत को करते जरा सी मौज
मस्ती खातिर इज्जत को कौड़ियों में तौलते।

बलात्कार जैसी घिनौनी घटनाओं पर अंकुश
लगा रोकने के कठोरतम प्रयास करने होंगे।
बलात्कारियों और इंसानियत को शर्मसार 
करने वालों को सरेआम फाँसी चढ़ाना होगा।

बहुत बना लिये कागजी, खोखले, दिखावटी 
खानापूर्ति करने वाले कानून और नियम।
नियमों का सख्ती से हकीकत में पालन कर
नयी निर्भया, प्रियंका बनाने से रोकने होगा। 3/5
#शर्मसारइंसानियत
#collabwithकोराकाग़ज़
#kkकविसम्मेलन
#KKकविसम्मेलन2
#विशेषप्रतियोगिता
#कोराकाग़ज़
 शर्मसार इंसानियत
दुनियाँ के हर कोने में रोज न जाने कितनी 
ही बहू, बेटियों की आबरू लुटती रहती है।
होती हैं बेशर्मी और दरिंदगी की हदें पार 
तब होने लगती है सारी इंसानियत शर्मसार।

अपना बनके करते हैं हैवानियत, इंसानियत 
भूल दुष्कर्म करते रिश्तों को भूल जाते हैं।
जाने कैसे हो जाते हैं इतने दरिंदे कि किसी 
मजबूर, लाचार की आवाज न सुन पाते हैं।

कहीं भी सुरक्षित नहीं है बहू बेटियाँ हर दम 
ही अनजाने डर के साये में जीती रहती हैं।
शर्मसार इंसानियत को करते जरा सी मौज
मस्ती खातिर इज्जत को कौड़ियों में तौलते।

बलात्कार जैसी घिनौनी घटनाओं पर अंकुश
लगा रोकने के कठोरतम प्रयास करने होंगे।
बलात्कारियों और इंसानियत को शर्मसार 
करने वालों को सरेआम फाँसी चढ़ाना होगा।

बहुत बना लिये कागजी, खोखले, दिखावटी 
खानापूर्ति करने वाले कानून और नियम।
नियमों का सख्ती से हकीकत में पालन कर
नयी निर्भया, प्रियंका बनाने से रोकने होगा। 3/5
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