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Read In Caption अधूरे_ख़्वाब जब मै सौलह बरस की थी,

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अधूरे_ख़्वाब जब मै सौलह बरस की थी, 
मेरी आँखों में भी कुछ सुनहरे ख़्वाब थे। 
जो मैं कभी पूरे ना कर सकी, 
एक ख़लिश दिल में सदा रही । 
 हर किसी को मुक्कमल जहां नहीं मिलता,किसी को जमीं तो किसी को आसमान नहीं मिलता । 

हमेशा सोचा,कुछ ना कुछ अलग करूँ, 
मेरे अधूरे ख़्वाब ,पूरे हो दिल को सुकूं मिले..।
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अधूरे_ख़्वाब जब मै सौलह बरस की थी, 
मेरी आँखों में भी कुछ सुनहरे ख़्वाब थे। 
जो मैं कभी पूरे ना कर सकी, 
एक ख़लिश दिल में सदा रही । 
 हर किसी को मुक्कमल जहां नहीं मिलता,किसी को जमीं तो किसी को आसमान नहीं मिलता । 

हमेशा सोचा,कुछ ना कुछ अलग करूँ, 
मेरे अधूरे ख़्वाब ,पूरे हो दिल को सुकूं मिले..।
anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
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