Read In Caption अधूरे_ख़्वाब जब मै सौलह बरस की थी, मेरी आँखों में भी कुछ सुनहरे ख़्वाब थे। जो मैं कभी पूरे ना कर सकी, एक ख़लिश दिल में सदा रही । हर किसी को मुक्कमल जहां नहीं मिलता,किसी को जमीं तो किसी को आसमान नहीं मिलता । हमेशा सोचा,कुछ ना कुछ अलग करूँ, मेरे अधूरे ख़्वाब ,पूरे हो दिल को सुकूं मिले..।